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अखिलेश यादव की आजम खान से मुलाकात पर ओपी राजभर ने दिया बड़ा बयान, बोले- चुनावी दबाव में हुई है मुलाकात

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर अखिलेश यादव और आजम खान की मुलाकात ने नई सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। बुधवार को हुई इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस घटना पर बड़ा बयान दिया और मुलाकात की पृष्ठभूमि पर अपने विचार साझा किए। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सपा के भीतर इस मुलाकात के पीछे केवल चुनावी दबाव और रणनीतिक मजबूरी का असर है। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव चाहते थे कि आजम खान को पार्टी से किनारे किया जाए। जेल में 23 महीने तक उन्होंने आजम खान से मिलने की पहल नहीं की। पूरे 23 महीने में अखिलेश यादव को आजम की याद तक नहीं आई, लेकिन अब जैसे ही चुनावी समय आया, उनकी याद जाग गई। यही कारण है कि मजबूरन आजम खान से मुलाकात की गई।” राजभर ने आगे कहा कि मुलाकात का मुख्य मकसद सपा में गठबंधन और संगठन की स्थिरता बनाए रखना है। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव को डर है कि अगर आजम खान और शिवपाल सिंह यादव ने मिलकर नई पार्टी बना दी, तो समाजवादी पार्टी टूट सकती है। समाजवादी पार्टी में आजम खान और शिवपाल की अच्छी पकड़ है। यही डर अखिलेश को आजम खान से मिलने के लिए मजबूर कर गया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुलाकात से स्पष्ट है कि अखिलेश यादव चुनावी रणनीति के तहत सपा के भीतर एकजुटता बनाए रखना चाहते हैं। आजम खान के साथ बैठक के दौरान पार्टी की नीतियों, आगामी चुनाव में सीट बंटवारे और संगठनात्मक मजबूती पर चर्चा हुई। ओमप्रकाश राजभर के बयान ने यह संकेत भी दिया कि सपा नेतृत्व संभावित पार्टी टूटाव को रोकने और अपने मजबूत कद्दावर नेताओं के साथ तालमेल बनाए रखने की कोशिश में है। इस मुलाकात को लेकर जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में भी चर्चा का दौर शुरू हो गया है। अब सियासी विशेषज्ञों की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या अखिलेश यादव और आजम खान की यह रणनीति सपा के चुनावी प्रदर्शन को मजबूत कर पाएगी या फिर अंदरूनी मतभेद भविष्य में पार्टी के लिए चुनौती बने रहेंगे। 

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